उद्योग विहार थाना क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर चल रहे दस फर्जी कॉल सेंटर का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। इस मामले में पुलिस ने 300 लोगों को हिरासत में लिया है जबकि सात मामले दर्ज कर 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपियों में घाना का भी एक नागरिक है। पुलिस ने आरोपियों से मोबाइल, लैपटॉप व अन्य सामान अपने कब्जे में लिया है। पुलिस आयुक्त को सूचना मिली कि उद्योग विहार क्षेत्र में फर्जी तरीके से कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं।
यह विदेशियों को कॉल कर उन्हें किसी न किसी प्रकार का लालच देकर उनसे धोखाधड़ी करते थे। इस पर एसीपी शमशेर सिंह के नेतृत्व में अपराध शाखा, साइबर सेल की टीमों ने सोमवार रातभर छापेमारी की।
इस दौरान अलग-अलग भवनों में चल रहे 10 कॉलसेंटर का भंडाफोड़ करते हुए यहां काम कर रहे 300 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
call center busted – फोटो : सुदर्शन झा
डीसीपी क्राइम सुमित कुमार ने बताया कि आरोपी मुख्य रूप से विदेशियों को कॉल करके उन्हें लाटरी व लोन दिलाने का झांसा देकर उनसे किसी न किसी तरीके से रुपये ऐंठते थे।
यह रुपये वह आई-ट्यून कार्ड के जरिए भारत में लाते थे। पुलिस ने बताया कि ग्रांड्स के नाम से तीन व टैक्स पोर्ट के नाम से सात कंपनियों का पता चला है। इन सभी कॉल सेंटर का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। यहां काम कर रहे सभी लोगों को पता था कि यहां इस तरह से धोखाधड़ी होती है।
पकड़े गए विदेशी की भी जांच की जा रही है कि वह यहां किस आधार पर रह रहा था और यदि उसके पास वीजा है तो वह उसने किस उद्देश्य के लिए इसे प्राप्त किया था। गिरफ्तार किए गए आरोपी मैनेजर व टीम लीडर स्तर के कर्मचारी हैं।
ऐसे ठगते थे लोगों को
डीसीपी क्राइम सुमित कुमार ने बताया कि आरोपी मुख्य रूप से विदेशियों को कॉल करके उन्हें लाटरी व लोन दिलाने का झांसा देकर उनसे किसी न किसी तरीके से रुपये ऐंठते थे।
अंग्रेजी बोलने वाले को देते थे नौकरी
कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी व्यक्ति अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। डीसीपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए 33 आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। रिमांड के दौरान ही इसमें यह भी पता लगा पाएगा कि यहां से पहले यह कहां पर काम चल रहा था।
लॉटरी लगने का देते थे झांसा
फर्जी कॉल सेंटर से पकड़े गए आरोपियों ने प्रारंभिक पूछताछ में बताया कि जिन लोगों को कॉल कर निशाना बनाया जाता था उनका डाटा उन्हें उनके अधिकारी उपलब्ध कराते थे। इन्हें कॉल कर लाटरी लगने लोन पास होने का झांसा दिया जाता था। जो लोग झांसे में आ जाते थे उनसे प्रोसेसिंग फीस व कमीशन देने के नाम पर रुपये मांगे जाते थे।
ऐसे हुआ नेटवर्क का खुलासा
पुलिस को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की तरफ से शिकायत मिली थी कि टैक्सपोर्ट नाम की कंपनी उनके ग्राहकों को फोन कर जानकारी ले रही है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है। इस पर उन्होंने मामले की जांच शुरू की तो पूरे फर्जी कॉल सेंटर के नेटवर्क का खुलासा हुआ।
डीसीपी क्राइम सुमित कुमार ने बताया कि पुलिस आयुक्त को दिसंबर महीने में गुरुग्राम में फर्जी कॉल सेंटर चलने की सूचना मिली थी।
इसके बाद पुलिस को सक्रिय कर दिया गया था। लगातार नजर रखी जा रही थी और पुख्ता किया जा रहा था। अब पर्दाफाश करते हुए 33 लोगों को गिरफ्तार किया।