ब्यूरो रिपोर्ट :6 मार्च 2018
ऊर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश में नई जल विद्युत परियोजनाओं पर ब्रेक लग गई है। 27 हजार मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाला हिमाचल आधा लक्ष्य भी नहीं छू पाया है।
केंद्र सरकार से विभिन्न क्लीयरेंस न मिलने और समझौता पत्र हस्ताक्षरित नहीं होने से प्रदेश में बीते तीन साल से 733 बिजली प्रोजेक्ट फाइलों में दबे हुए हैं। इन प्रोजेक्टों में 7998.78 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता है।
उधर, बीते चार साल के दौरान प्रदेश में सिर्फ आठ नए जल विद्युत प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र में अलॉट हुए हैं। इन प्रोजेक्टों से 121.80 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। यह प्रोजेक्ट शुरू होने में भी अभी कुछ साल लगेंगे।
हिमाचल में पैदा हो रही इतनी बिजली
हिमाचल में वर्तमान में 148 बिजली प्रोजेक्टों से 10,533 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। 2380.54 मेगावाट की क्षमता वाले 63 जल विद्युत प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। दो से तीन साल के भीतर यह प्रोजेक्ट उत्पादन शुरू करेंगे।
इसके अलावा 1551.50 मेगावाट की क्षमता वाले दस प्रोजेक्ट विवाद के चलते अलॉट होने से पहले ही रद्द हो गए हैं। छह निजी निवेशकों ने 735 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट अलॉट होने के बाद सरेंडर कर दिए।
प्रदेश में बिजली प्रोजेक्ट स्थापित करने पर आने वाले बहुत अधिक खर्च के चलते नई परियोजनाएं सिरे नहीं चढ़ पा रही हैं। निजी निवेशकों ने प्रदेश में निवेश करने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
जल विद्युत की अपेक्षा निजी निवेशक सोलर और विंड एनर्जी की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन सोलर और विंड एनर्जी को लेकर प्रदेश में अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में निवेशक हिमाचल की जगह दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं।
प्रदेश में मौजूद जल विद्युत परियोजनाएं
सेक्टर प्रोजेक्टों की संख्या उत्पादन (मेगावाट)
हिम ऊर्जा 89 298.82
बिजली बोर्ड 23 487.55
पावर कारपोरेशन 2 165
केंद्र एवं संयुक्त 12 7457.73
निजी प्रोजेक्ट 22 1964.90
कुल 148 10533.17
क्लीयरेंस में फंसे प्रोजेक्ट
सेक्टर प्रोजेक्टों की संख्या उत्पादन (मेगावाट)
हिम ऊर्जा 652 1400.58
बिजली बोर्ड 7 92.00
पावर कारपोरेशन 17 2300
केंद्र एवं संयुक्त 4 956
निजी प्रोजेक्ट 53 2922.20
कुल 733 7998.78
नई ऊर्जा नीति में करेंगे छूट के प्रावधान
प्रदेश की नई ऊर्जा नीति बनाने पर काम शुरू कर दिया गया है। केंद्र सरकार और उत्तराखंड की ऊर्जा नीति को स्टडी किया जाएगा। निवेशकों के हितों को देखते हुए नई ऊर्जा नीति तैयार की जाएगी। प्रोजेक्ट अलॉटमेंट की पुरानी नीति को बदला जाएगा।
निवेशकों को हिमाचल में प्रोजेक्ट लगाने पर कई तरह की छूट देने पर विचार चल रहा है। जल विद्युत के अलावा सोलर और विंड एनर्जी पर भी विशेष फोकस किया जाएगा।
केंद्र सरकार से हाइडल एनर्जी को ग्रीन एनर्जी कंसीडर करने की मांग की गई है। केंद्र अगर इस मांग को मान लेता है तो प्रदेश में निवेश बढ़ेगा। हिमाचल की आय भी बढ़ेगी।– अनिल शर्मा, ऊर्जा मंत्री हिमाचल सरकार
बिजली खरीदने की गारंटी ले सरकार तो सुधरेगी हालत
जल विद्युत परियोजना विशेषज्ञ और बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त वरिष्ठ जल विद्युत अधिकारी आरएल जस्टा का कहना है कि प्रदेश सरकार को छोटे बिजली प्रोजेक्ट लगाने वाले निवेशकों से बिजली खरीदने की गारंटी देनी चाहिए।
वर्तमान में बिजली खरीदना या न खरीदना सरकार की मर्जी पर निर्भर है। बिजली प्रोजेक्ट लगाने पर आने वाले खर्च के चलते प्रति यूनिट बिजली आठ से दस रुपये में बनती है जबकि सरकार ढाई रुपये प्रति यूनिट के दाम पर खरीदती है।
खर्च अधिक आने के चलते निवेशक पांच मेगावाट से कम क्षमता वाले बिजली प्रोजेक्टों को सरेंडर करने को विवश हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी का कहना है कि अगर सरकार बिजली प्रोजेक्टों की संख्या बढ़ाना चाहती है तो उसे अपनी नीति बदलनी होगी।
प्रोजेक्ट स्थलों तक सुविधाएं मुहैया करवानी होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की कुछ बिजली प्रोजेक्ट साइट्स के समीप ट्रांसमिशन लाइन तक नहीं है। इसके अलावा पानी की कमी के चलते भी प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहे हैं।