राज्य कृषि महकमे और उद्यान विभाग की ओर से भी किसानों-बागवानों को नीम कोटेड यूरिया खाद डालने की संस्तुति की जाती है, लेकिन विभाग की ओर से इस खाद को अब उपलब्ध ही नहीं करवाया जा रहा। सेब के पौधों में इन दिनों पत्तियां निकलनी शुरू हो गई हैं। ठीक इसी वक्त नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है।

हाल ही में बागवानी विश्वविद्यालय नौणी से एक शोध में भी यह बात सामने आई है कि नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया खाद सबसे अच्छा विकल्प है। इस खाद को नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड नंगल तैयार करता है।
सूत्रों का कहना है कि हिमफेड ने 2600 मीट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति करने के लिए ऑर्डर तो दे रखा है, लेकिन इसकी सप्लाई अटक गई है। चूंकि, बगीचों में खाद डालने का वक्त बीता जा रहा है, इसलिए बागवानों को मजबूरी में कैल्शियम नाइट्रेट खाद का सहारा लेना पड़ रहा है। कैल्शियम नाइट्रेट खाद की कंपनियां अलग-अलग रेट वसूल रही हैं।
नौ रुपये की जगह 250 का खर्च
